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Friday, February 26, 2016

Dr. Ambedkar as a Gobal icon of Enlightenment : 125 years of glorious legacy

| | SANGHARSH /STRUGGLE ||
E-JOURNAL OF DALIT LITERARY STUDIES
(Peer-Reviewed & Refereed International e-Journal)
Issn : 2278-3067

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर
(जीवन, विचार, प्रभाव, संघर्ष एवं चुनौतियां)
Special Issue on 125th BirthAnniverasary of Bharat Ratna Dr. B. R. Ambedkar

The issue is titled:
Dr Ambedkar as a Gobal icon of Enlightenment :
125 years of glorious legacy
Lang. : English, Hindi, Marathi & Gujarati
Last Date Submission : 15 March.,  2016

संघर्ष ई जर्नल चार साल से डॉ. अंबेडकर के विचारों के आधार पर ऑनलाइन सक्रीय एवं कार्यरत है | संघर्ष के साथ कई नामी-अनामी लोग जुड़े हुए है, यह भारतीय शिक्षा क्षेत्र में दलित, आदिवासी, महिला एवं हाशिये की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है | जब यह जर्नल शुरू करने जा रहे थे तभी हमने सोचा था की हाशिये के समाज का संघर्ष आज भी जारी है एवं डॉ. अंबेडकर ने जो विचार रक्खे थे वह आज भी प्रासंगिक | यह जर्नल डॉ. अंबेडकर, महात्मा फुले, बुद्ध आदि महामानव की विचारधारा को समर्पित है |
डॉ. अंबेडकर की 125वी जन्मवर्ष के अवसर पर “वैश्विक परिप्रेक्ष्य में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर (जीवन, विचार, प्रभाव, संघर्ष एवं चुनौतियां)” विशेष अंक प्रकाशित करने जा रहे है | इस अंक में डॉ. अंबेडकर एक विश्वनेता के तौर पर उभरकर आये यही लेखकों से उम्मीद है | डॉ. अंबेडकर कोई जातिविशेष में बांधनेवाले नहीं थे, उनकी दृष्टी विशेष एवं दूरंदेशी थी, उन्होंने भारतीय साहित्य, संस्कृति, इतिहास के साथ विश्व इतिहास, साहित्य, संस्कृति का अध्ययन भी किया एवं देखा भी | डॉ. अंबेडकर भारत में आज भी अछूत माने जाते है एवं उनके प्रति भारत के विभेदकारी लोगों की सोच रूढ़ बनी हुई है | फिर भी दुनियां में डॉ. अंबेडकर की जब भी चर्चा होती है उसे ज्ञान के भंडार के रूप में सम्मानित किया जाता है, भारत के संविधान में उनका योगदान आज भी याद किया जाता है | जब लोग मात्र आज़ादी के बारें में सोच रहे थे, तब डॉ. अंबेडकर सामाजिक आज़ादी के बारें में सोच रहे थे | मानव मात्र के लिए उनके विचार उत्प्रेरित करनेवाले होते थे एवं है | डॉ. अंबेडकर के माध्यम से ही भारत के हाशिये के समाज एवं भारत की महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है |
हालाँकि आज यह समय है की, शिक्षा एवं रोजगार के क्षेत्र में सरकार एवं समाज का नजरिया बी=वही पुराना है, यहाँ पर आरक्षण को कमजोर करने की हर संभव कोशिश की जाती है एवं डॉ. अंबेडकर का भारतीय राजनीति, आधुनिक समाज निर्माण, आधुनिक अर्थव्यवस्था, शिक्षा क्षेत्र को सार्वजनिक करना, सार्वजानिक सुविधा को वास्तविक रूप में सार्वजानिक बनाना आदि कार्य अविस्मर्णीय है एवं आज भी उनके यह कार्य प्रासंगिक है | जहाँ भी शोषण के खिलाफ आवाज उठती है डॉ. अंबेडकर का संज्ञान अवश्य लिया जाता रहा है |
संघर्ष के विशेष बोर्ड ऑफ़ मेम्बर प्रो. विमल थोरात (दलित अस्मिता के संपादक) जी से बात हुई, उन्होंने ही इस विषय पर कार्य करने के लिए हमारा उ=उत्साह बढाया | यह विशेष अंक आज के इस समय में अत्यंत आवश्यक है की, डॉ. अंबेडकर का वैश्विक योगदान को इंगित करें एवं रचे जा रहे साहित्य पर उनका प्रभाव, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं संगठनो पर प्रभाव, संस्थानों जो समर्पित है इस विचारधारा को उनपर प्रभाव आदि एवं सामाजिक, राजनितिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, महिला जीवन संघर्ष पर प्रभाव, विचार, संघर्ष, चुनौतिया आदि पर आपके लेखन आवकारी है |
इस पृष्ठभूमि को स्पष्ट करते हुए निम्नलिखित मुद्दों पर लेखन स्वीकार्य है :
·         वैश्विक परिप्रेक्ष्य में डॉ. अंबेडकर जीवन, विचार, प्रभाव, चुनौतियां |
·         वैश्विक परिप्रेक्ष्य में डॉ. अंबेडकर के प्रभाव में रचे जा रहे साहित्य का मूल्यांकन :
·         दलित साहित्य
·         स्त्रीवादी साहित्य
·         आदिवासी साहित्य
·         हाशिये का साहित्य
आदि
·         सामाजिक संगठन एवं सामाजिक कार्यकारों पर डॉ. अंबेडकर का प्रभाव
·         विश्वविभूति डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर
·         डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के विश्वमानव के संदर्भ में विचार
·         विश्वविभूति डॉ. अंबेडकर के शिक्षण, राजनीति, सामाजिक, धर्म, आध्यात्मिकता, साहित्य, पत्रकारिता, विदेशनीति आदि पर विचार
·         विश्वविभूति डॉ. अंबेडकर के जीवन में विश्व संस्कृति एवं कार्यों का प्रभाव
·         विश्वविभूति डॉ. अंबेडकर की आज के संदर्भ में विश्व फलक पर प्रासंगिकता
·         डॉ. अंबेडकर के मार्क्स एवं बुद्ध के बारें में विचार
·         विश्वविभूति डॉ. अंबेडकर के स्त्री सशक्तिकरण संदर्भ में विचार
·         विश्वविभूति डॉ. अंबेडकर के कार्यों में प्रतीकात्मकता (बिम्ब विधान)
·         समसामयिक/वर्तमान परिस्थिति एवं डॉ. अंबेडकर
आदि विषयों पर रचनाएँ हमें भेज सकते है |
रचनाएँ : आप लेख, शोधालेख, कहानी, उपन्यास अंश, आत्मवृत्त, आत्मकथांश, कहानी, कविता, रेखा चित्र या जीवन चित्र, दलित चित्र, लघुकथा, रिपोर्ट आदि भेज सकते है |
भाषा : प्रस्तुत अंक में आप इंग्लिश, हिंदी, गुजराती एवं मराठी में स्वरचित आलेख टाइप कोपी में भेज सकते है |

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