23 अप्रैल, 2017 को जामनगर में डॉ. आंबेडकर जयंति के अवसर पर दिए गए वक्तव्य की कुछ झलकियाँ
आप यहाँ से देख सकते है
Dr. Ambekar Jayanti Ke avsar Par Diya hua Vaktavya Bhag 1
Dr. Ambekar Jayanti Ke avsar Par Diya hua Vaktavya Bhag 2
आप यहाँ से देख सकते है
Dr. Ambekar Jayanti Ke avsar Par Diya hua Vaktavya Bhag 1
Dr. Ambekar Jayanti Ke avsar Par Diya hua Vaktavya Bhag 2
इस वक्तव्य के महत्वपूर्ण मुद्दे
डॉ. आंबेडकर की 126 वी जन्मजयन्ती के अवसर पर मैंने इन मुद्दों पर बात कि –
• हमारे समाज की प्रगति यहाँ तक आई है कि हमने अपने घर में देवी-देवताओं के साथ आम्बेडकर की फोटो भी लगा दी है. जो आज की वास्तविकता है.
• हमारे भविष्य निर्माण में हमारे आस-पास का वातावरण महत्वपूर्ण होता है, हम इस वातावरण को निर्मित करने में निष्फल रहे है फिर भी हम उम्मीद करते है कि हमारे संतान आंबेडकर की तरह हो.... अगर इस उम्मीद को सही साबित करना है तो घर, परिवार एवं समाज का वातावरण पहले से निर्मित करना होगा, जो परम्परा से भिन्न हो और बुद्ध तक हमें ले जाता हो.
• हमारी लड़ाई मार्क्सवाद से भी जटील है, इसलिए हमें आधुनिक – प्रासंगिक बुद्ध से जुड़ना होगा, जिसमें अवैर से ही वैर का नाश होता है, वैर से नहीं का निर्माण करना होगा.
• हमारे समाज में शिक्षा का स्तर आज भी उसी तरह से है जो दिखाई तो देता है सब को मगर हकीकत कुछ और है, यानी समंदर में बर्फ के पहाड़ जैसे, जिसकी छोटी ही दिखाई देती है, बाकी का पाहड पानी में ही समाहित होता है. हमारा समाज आज भी अशिक्षा से जूझ रहा है.
• हम उसी ढर्रे पर चल रहे है, हमने अलग होली खेली, दिवाली मनाई तो साथ ही आंबेडकर को भी दूध से नहला दिया. ये जो स्थिति है हमें व्यक्ति पूजा और भक्त बनाती है.... इससे बचना हो तो आंबेडकर को सही तरीके से पढना होगा.
• हम कोई उम्मीद नहीं रख सकते अवतारवाद पर कि कोई आएगा और हमारा उद्धार फिर से करेगा, हमें ‘अत्त दीपो भव’ (अपनी रौशनी पैदा करो) के मार्ग को अपनाना होगा. याद रहे हमारे पास रौशनी होगी तभी हम दूसरों को रोशन कर सकते है, रोशनी दे सकते है, नहीं तो अँधेरे ही दे पायेगे.
• प्रतिबद्धता के साथ अपनी खुद की जिम्मेदारी निभाए और आगे बढ़े.
• यह विधान मात्र दलितों के लिए नहीं है, तमाम वंचित जनता के लिए है. क्योंकि इस कार्यक्रम में एस.सी., ओबीसी, एस.टी., मुश्लिम एवं महिलाएं थी.
जय भीम
- डॉ. हरेश परमार
• हमारे समाज की प्रगति यहाँ तक आई है कि हमने अपने घर में देवी-देवताओं के साथ आम्बेडकर की फोटो भी लगा दी है. जो आज की वास्तविकता है.
• हमारे भविष्य निर्माण में हमारे आस-पास का वातावरण महत्वपूर्ण होता है, हम इस वातावरण को निर्मित करने में निष्फल रहे है फिर भी हम उम्मीद करते है कि हमारे संतान आंबेडकर की तरह हो.... अगर इस उम्मीद को सही साबित करना है तो घर, परिवार एवं समाज का वातावरण पहले से निर्मित करना होगा, जो परम्परा से भिन्न हो और बुद्ध तक हमें ले जाता हो.
• हमारी लड़ाई मार्क्सवाद से भी जटील है, इसलिए हमें आधुनिक – प्रासंगिक बुद्ध से जुड़ना होगा, जिसमें अवैर से ही वैर का नाश होता है, वैर से नहीं का निर्माण करना होगा.
• हमारे समाज में शिक्षा का स्तर आज भी उसी तरह से है जो दिखाई तो देता है सब को मगर हकीकत कुछ और है, यानी समंदर में बर्फ के पहाड़ जैसे, जिसकी छोटी ही दिखाई देती है, बाकी का पाहड पानी में ही समाहित होता है. हमारा समाज आज भी अशिक्षा से जूझ रहा है.
• हम उसी ढर्रे पर चल रहे है, हमने अलग होली खेली, दिवाली मनाई तो साथ ही आंबेडकर को भी दूध से नहला दिया. ये जो स्थिति है हमें व्यक्ति पूजा और भक्त बनाती है.... इससे बचना हो तो आंबेडकर को सही तरीके से पढना होगा.
• हम कोई उम्मीद नहीं रख सकते अवतारवाद पर कि कोई आएगा और हमारा उद्धार फिर से करेगा, हमें ‘अत्त दीपो भव’ (अपनी रौशनी पैदा करो) के मार्ग को अपनाना होगा. याद रहे हमारे पास रौशनी होगी तभी हम दूसरों को रोशन कर सकते है, रोशनी दे सकते है, नहीं तो अँधेरे ही दे पायेगे.
• प्रतिबद्धता के साथ अपनी खुद की जिम्मेदारी निभाए और आगे बढ़े.
• यह विधान मात्र दलितों के लिए नहीं है, तमाम वंचित जनता के लिए है. क्योंकि इस कार्यक्रम में एस.सी., ओबीसी, एस.टी., मुश्लिम एवं महिलाएं थी.
जय भीम
- डॉ. हरेश परमार
धन्यवाद