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Friday, April 28, 2017

Dr. Ambedkar 126 Jayanti Celebration

23 अप्रैल, 2017 को जामनगर में डॉ. आंबेडकर जयंति के अवसर पर दिए गए वक्तव्य की कुछ झलकियाँ
आप यहाँ से देख सकते है

Dr. Ambekar Jayanti Ke avsar Par Diya hua Vaktavya Bhag 1


Dr. Ambekar Jayanti Ke avsar Par Diya hua Vaktavya Bhag 2

इस वक्तव्य के महत्वपूर्ण मुद्दे
डॉ. आंबेडकर की 126 वी जन्मजयन्ती के अवसर पर मैंने इन मुद्दों पर बात कि –
• हमारे समाज की प्रगति यहाँ तक आई है कि हमने अपने घर में देवी-देवताओं के साथ आम्बेडकर की फोटो भी लगा दी है. जो आज की वास्तविकता है.
• हमारे भविष्य निर्माण में हमारे आस-पास का वातावरण महत्वपूर्ण होता है, हम इस वातावरण को निर्मित करने में निष्फल रहे है फिर भी हम उम्मीद करते है कि हमारे संतान आंबेडकर की तरह हो.... अगर इस उम्मीद को सही साबित करना है तो घर, परिवार एवं समाज का वातावरण पहले से निर्मित करना होगा, जो परम्परा से भिन्न हो और बुद्ध तक हमें ले जाता हो.
• हमारी लड़ाई मार्क्सवाद से भी जटील है, इसलिए हमें आधुनिक – प्रासंगिक बुद्ध से जुड़ना होगा, जिसमें अवैर से ही वैर का नाश होता है, वैर से नहीं का निर्माण करना होगा.
• हमारे समाज में शिक्षा का स्तर आज भी उसी तरह से है जो दिखाई तो देता है सब को मगर हकीकत कुछ और है, यानी समंदर में बर्फ के पहाड़ जैसे, जिसकी छोटी ही दिखाई देती है, बाकी का पाहड पानी में ही समाहित होता है. हमारा समाज आज भी अशिक्षा से जूझ रहा है.
• हम उसी ढर्रे पर चल रहे है, हमने अलग होली खेली, दिवाली मनाई तो साथ ही आंबेडकर को भी दूध से नहला दिया. ये जो स्थिति है हमें व्यक्ति पूजा और भक्त बनाती है.... इससे बचना हो तो आंबेडकर को सही तरीके से पढना होगा. 
• हम कोई उम्मीद नहीं रख सकते अवतारवाद पर कि कोई आएगा और हमारा उद्धार फिर से करेगा, हमें ‘अत्त दीपो भव’ (अपनी रौशनी पैदा करो) के मार्ग को अपनाना होगा. याद रहे हमारे पास रौशनी होगी तभी हम दूसरों को रोशन कर सकते है, रोशनी दे सकते है, नहीं तो अँधेरे ही दे पायेगे. 
• प्रतिबद्धता के साथ अपनी खुद की जिम्मेदारी निभाए और आगे बढ़े.
• यह विधान मात्र दलितों के लिए नहीं है, तमाम वंचित जनता के लिए है. क्योंकि इस कार्यक्रम में एस.सी., ओबीसी, एस.टी., मुश्लिम एवं महिलाएं थी.
जय भीम 
 - डॉ. हरेश परमार

धन्यवाद

Thursday, April 13, 2017

126 Dr. Babasaheb Ambedkar Jayanti

                        संघर्ष मेंबर, आप सभी को जय भीम, 126 वे डॉ. आंबेडकर जन्म जयंती के अवसर पर : साथियों हमने 125 वे डॉ. आंबेडकर के जन्म शती वर्ष को मनाया, साथ ही हम 126 वे जन्म जयंति को भी मना रहे है. यह याद रहे RSS भी इस बार दलितों के साथ मिलके डॉ. आंबेडकर की जन्म जयन्ति मन रहे है, साथ ही दलित लोग जो बुद्धिजीवी है वह भी अपने तरीके से जन्म जयंति मन रहे है, जब डॉ. आंबेडकर की बात आती है तो समय आ गया है की अन्य समाज को साथ में जोड़े, अपने तरीके से, उन्हें भी अहसास होना चाहिए कि, शोषण के सन्दर्भ में आम्बेडकर सब के है, सिर्फ दलितों के नहीं. वैसे भी हम ईमानदारी से नहीं कह पाते कि हम आंबेडकर वादी है, अम्बेडकरवादी होना यानी मानवीय होना, मानव को स्वीकार करना और जातिवाद, शोषण के खिलाफ आवाज उठाना. याद रहे आप आज भी समाज और परिवार में समाहित है और हमारा परिवार, समाज आज भी हिन्दू रीति-नीति में लिप्त है, आज भी हमारे समाज में स्वामीनारायण की कथा होती है, आज भी हमारे समाज में लगभग पुरुष वर्ग भी गुरूवार और शनिवार आराध्य देवो के नाम उपवास करते है, यहाँ तक कि, आज भी हमारा पढ़ा-लिखा समाज अपने मोहल्ले में आंबेडकर की प्रतिमा से पहले माताजी, रामदेव, शंकर, हनुमान के मंदिर बनाने के लिए एक होते है, आज भी जब भी हमारे घर में संतान का आगमन होता है तो हम ब्राह्मण न सही, पर वर्तमान पेपर में आज के राशी भविष्य में देखने लगते है और उनमे दी गई राशी के अनुसार संतान का नाम रखते है. आज भी हमारे समाज में दहेज़ लिया और दिया जाता है और ज्यादातर शादिया आज भी अनपढ़ या पढ़ेलिखों में हिन्दू रीति-नीति से होता है. हम 125 साल में कितने बदले है ? यह जरुर है कि हमने जिस बौद्ध धम्म को माना उसमें अब काफी लोगों को विशवास नहीं है, पर बुद्ध पर तो है न ? बुद्ध ही वह आधुनिक नायक है जो समय बदलते हुए भी प्रासंगिक है और वर्तमान से भविष्य की और ले जाता है. पर हम आज भी धर्म परिवर्तन से डरते है. हमारी कलम जब भी दलित पर अत्याचार होते है तो हम दुसरे की अपेक्षा करते है कि वो क्या करते है, बाद में हम लिखेगे.... हमारा समाज 125 साल में बस इतना बदला कि घर में गणपति, शिव, माताजी के अलावा अब आंबेडकर के फोटो भी साथ में लगा देते है, हम आज भी जब जयंति आती है तो उनके नाम से मिल के बढ़िया खाना का आयोजन करते है.... हम उनके संदर्भ में कार्यक्रम करते है कि, अब भी हमें बदलने की जरूरत है और हम बदलने के लिए लामबंध होते है.... फिर शिक्षा प्राप्त करते करते हम कहीं खो जाते है जैसे ये समाज कभी बदलेगा ही नहीं... पर डॉ. आंबेडकर को विश्वास था और है कि भविष्य में समाज और देश जरुर बदलेगा, वह हमारी तरह निराशावादी नहीं थे, अगर होते तो हम जहाँ है, वहां भी नहीं होते... हालाँकि इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपना घरबार त्याग दो और आंबेडकर के बताये रास्ते पर निकल पड़ो, पर यह जरुर है कि, हम जहाँ भी रहे जय भीम के साथ रहे, अपने तरफ से जो कुछ भी बने वह कर गुजरने का जज्बा हो और नई उम्मीदों को अपनी पीढ़ी को दो, जो वह आसमान को आवाम से भर दे... वह मार्गदर्शक बने, मार्गविहीन न रहे.... संघर्ष के सभी साथियों को मेरा सादर जय भीम. आप सभी से उम्मीद है कि, अपने तरफ से कुछ न कुछ करें जो आने वाले समय में प्रभावकारी हो. जय भीम - आपका डॉ. हरेश परमार 9408110030