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Thursday, April 13, 2017

126 Dr. Babasaheb Ambedkar Jayanti

                        संघर्ष मेंबर, आप सभी को जय भीम, 126 वे डॉ. आंबेडकर जन्म जयंती के अवसर पर : साथियों हमने 125 वे डॉ. आंबेडकर के जन्म शती वर्ष को मनाया, साथ ही हम 126 वे जन्म जयंति को भी मना रहे है. यह याद रहे RSS भी इस बार दलितों के साथ मिलके डॉ. आंबेडकर की जन्म जयन्ति मन रहे है, साथ ही दलित लोग जो बुद्धिजीवी है वह भी अपने तरीके से जन्म जयंति मन रहे है, जब डॉ. आंबेडकर की बात आती है तो समय आ गया है की अन्य समाज को साथ में जोड़े, अपने तरीके से, उन्हें भी अहसास होना चाहिए कि, शोषण के सन्दर्भ में आम्बेडकर सब के है, सिर्फ दलितों के नहीं. वैसे भी हम ईमानदारी से नहीं कह पाते कि हम आंबेडकर वादी है, अम्बेडकरवादी होना यानी मानवीय होना, मानव को स्वीकार करना और जातिवाद, शोषण के खिलाफ आवाज उठाना. याद रहे आप आज भी समाज और परिवार में समाहित है और हमारा परिवार, समाज आज भी हिन्दू रीति-नीति में लिप्त है, आज भी हमारे समाज में स्वामीनारायण की कथा होती है, आज भी हमारे समाज में लगभग पुरुष वर्ग भी गुरूवार और शनिवार आराध्य देवो के नाम उपवास करते है, यहाँ तक कि, आज भी हमारा पढ़ा-लिखा समाज अपने मोहल्ले में आंबेडकर की प्रतिमा से पहले माताजी, रामदेव, शंकर, हनुमान के मंदिर बनाने के लिए एक होते है, आज भी जब भी हमारे घर में संतान का आगमन होता है तो हम ब्राह्मण न सही, पर वर्तमान पेपर में आज के राशी भविष्य में देखने लगते है और उनमे दी गई राशी के अनुसार संतान का नाम रखते है. आज भी हमारे समाज में दहेज़ लिया और दिया जाता है और ज्यादातर शादिया आज भी अनपढ़ या पढ़ेलिखों में हिन्दू रीति-नीति से होता है. हम 125 साल में कितने बदले है ? यह जरुर है कि हमने जिस बौद्ध धम्म को माना उसमें अब काफी लोगों को विशवास नहीं है, पर बुद्ध पर तो है न ? बुद्ध ही वह आधुनिक नायक है जो समय बदलते हुए भी प्रासंगिक है और वर्तमान से भविष्य की और ले जाता है. पर हम आज भी धर्म परिवर्तन से डरते है. हमारी कलम जब भी दलित पर अत्याचार होते है तो हम दुसरे की अपेक्षा करते है कि वो क्या करते है, बाद में हम लिखेगे.... हमारा समाज 125 साल में बस इतना बदला कि घर में गणपति, शिव, माताजी के अलावा अब आंबेडकर के फोटो भी साथ में लगा देते है, हम आज भी जब जयंति आती है तो उनके नाम से मिल के बढ़िया खाना का आयोजन करते है.... हम उनके संदर्भ में कार्यक्रम करते है कि, अब भी हमें बदलने की जरूरत है और हम बदलने के लिए लामबंध होते है.... फिर शिक्षा प्राप्त करते करते हम कहीं खो जाते है जैसे ये समाज कभी बदलेगा ही नहीं... पर डॉ. आंबेडकर को विश्वास था और है कि भविष्य में समाज और देश जरुर बदलेगा, वह हमारी तरह निराशावादी नहीं थे, अगर होते तो हम जहाँ है, वहां भी नहीं होते... हालाँकि इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपना घरबार त्याग दो और आंबेडकर के बताये रास्ते पर निकल पड़ो, पर यह जरुर है कि, हम जहाँ भी रहे जय भीम के साथ रहे, अपने तरफ से जो कुछ भी बने वह कर गुजरने का जज्बा हो और नई उम्मीदों को अपनी पीढ़ी को दो, जो वह आसमान को आवाम से भर दे... वह मार्गदर्शक बने, मार्गविहीन न रहे.... संघर्ष के सभी साथियों को मेरा सादर जय भीम. आप सभी से उम्मीद है कि, अपने तरफ से कुछ न कुछ करें जो आने वाले समय में प्रभावकारी हो. जय भीम - आपका डॉ. हरेश परमार 9408110030

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